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नींद और मानसिक स्वास्थ्य

नींद हमारे शरीर को रिचार्ज करने के अलावा भी बहुत से काम करती है; यह हमें तरोताजा महसूस करने, हमारे दिमाग को तेज करने, और हमारे उत्साह बढ़ाने का काम भी करती है। जब हम सोते हैं, तो हमारा मस्तिष्क अनुभवों को संसाधित करता है, यादों को समेकित करता है, और हार्मोन को नियंत्रित करता है – ये सारी क्रियाएं मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी हैं। किन्तु जब तनाव और मानसिक स्वास्थ्य संबंधित चुनौतियाँ हम पर हावी हो जाती हैं, तो अच्छी नींद लेना कठिन हो जाता है। यहीं से एक दुष्चक्र शुरु होता है। नींद की कमी से मानसिक स्वास्थ्य पर असर होता है, और मानसिक स्वास्थ्य के लिए किया गया संघर्ष नींद में खलल् डालता है। बहुत ही आसानी से दिन का तनाव बैचेन रातों और चिंताभरे सवेरों में बदल जाता है।

नींद से जुड़ी सामान्य परेशानियाँ: 

  • नींद न आना: एक साथ बहुत से विचारों का आना, तनाव, और चिंताऐं, ये सब आपको जगाए रखते हैं।  
  • नींद न बनाए रख पाना : रात भर जागना, आरामदायक नींद में लौटने में असमर्थ होना।   
  • जल्दी जागना: अलार्म बजने से पहले उठ जाना, नींद अधूरी लगना।
  • शारीरिक असहजता: मांसपेशियों में जकड़न, तनाव, सिरदर्द या दूसरे लक्षण जो नींद में खलल डालते हैं।
  • कच्ची नींद: गहरी नींद न अनुभव करना और थका हुआ महसूस करना।

ख़राब नींद के परिणाम:

  • थकावट: लगातार थकान महसूस करना, जिससे आपकी ऊर्जा और प्रेरणा प्रभावित हो रही है।
  • मानसिक रूप से तरोतराजा महसूस न कर पाना और विचारों की अस्पष्टता: विचारों का धूमिल होना, ध्यान केंद्रित करने और समान्य बातों को याद करने में परेशानी।
  • चिढ़चिढ़ापन और मूड में बदलाव: छोटी-छोटी बात से निराशा या गुस्सा महसूस होना।
  • नींद की कमी पहले से उपस्थित मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों को और खराब कर सकती है।

नींद की परेशानी से लड़ना कोई आसान लड़ाई नहीं है, पर हमेशा याद रखिए, आप अकेले नहीं हैं। अच्छी नींद की आदत को प्राथमिकता देकर, रिलेक्सेशन तकनीकों का अभ्यास करके, और यदि जरूरी हो, तो पेशेवर सलाह लेकर आप अच्छी नींद का माहौल तैयार कर सकते हैं। जिससे बेहतर नींद, बेहतर मूड और बेहतर मानसिक स्वास्थ्य का अनुभव किया जा सकता है।

क्या मदद कर सकता है?

माइन्डफुलनेस

डीप रिलेक्सेशन (गहरा आराम) रात में तनाव और चिंताऐं कम करके नींद को बेहतर बनाने में मदद करता है। माइन्डफुलनेस आधारित अभ्यास आपको अपने दिमाग और शरीर की आदतें बनाने, वर्तमान से जुडने और शांति प्राप्त करने में सक्षम बनाती हैं। माइन्डफुलनेस का अभ्यास न सिर्फ हमारी नींद बेहतर बनाता है, बल्कि वह बहुत ज़्यादा सोचने और जीवन की चुनौतियों के कारण होने वाले तनाव को भी हल्का करने में मदद करता है।

रात की अच्छी नींद के लिए माइन्डफुलनेस के अलावा, शारीरिक क्रियाएं, संतुलित आहार, डिजिटल मीडिया का उचित उपयोग भी बहुत मायने रखता है।

माइन्डफुलनेस के बारे में अधिक जानने के लिए और उसका हमारी नींद पर प्रभाव अनुभव करने के लिए, आप हमारा माइन्डफुलनेस कोर्स ले सकते हैं और इस प्रक्रिया को स्वयं समझ सकते हैं। अपनी नींद को बेहतर बनाने के लिए आप माइन्डफुलनेस का परिचय के साथ शुरू कर सकते हैं और ‘बेहतर नींद माइन्डफुलनेस से’ नामक मॉड्यूल का अभ्यास कर सकते हैं ।

स्लीप हायजीन

स्लीप हायजीन के तरीके या अच्छी आदतें अपनाने से आपको अपने शरीर को यह समझाने के लिए मदद मिल सकती है कि अब आराम का समय हो गया है। माइन्डफुलनेस के रिलेक्सेशन लाभों को स्लीप हायजीन के रूटीन और अनुकूल वातावरण से जोड़कर आप अपनी नींद की गुणवत्ता को बहुत हद तक सुधार सकते है।

बेहतर नींद के लिए अच्छी आदतें:

सोने की नियमित चर्या बनाएं: हर दिन एक निश्चित समय पर सोने और जागने का लक्ष्य बनाएं, सप्ताहांत पर भी! यह शरीर की आंतरिक घड़ी को नियमित करने में मदद करता है और आपके शरीर को सोने और जागने का समय पहचानने में मदद करता है।

झपकी लेने का समय नियंत्रित करें: यदि आपको दिन के समय झपकी लेने की जरूरत है, तो उसके समय को सीमित रखें (20-30 मिनिट) और सोने के समय के आस पास झपकी न लेने की कोशिश करें क्योंकि इससे आपका शरीर बाद में जागने के लिए तैयार हो जाता है और फिर सोने के समय पर आपको नींद न आने और बैचेनी की परेशानी हो सकती है।

बिस्तर को नींद के लिए ही रखें: जब आप बिस्तर में ही काम करते हैं, टीवी देखते हैं या खाते हैं, तो आपका दिमाग बिस्तर के उद्देश्य के बारे में अस्पष्ट हो जाता है। अपने बिस्तर को स्लीप ज़ोन – आराम लेने की, अपने करीबी व्यक्ति के साथ जुडने की जगह बनाएं और कुछ भी नहीं। इससे आपके शरीर और दिमाग को यह आदत बनती है कि जब भी आप बिस्तर पर आते हैं तो आपको सोना है, जिससे नींद आना ज्यादा आसान हो जाता है।

सोने के समय शांत करने वाला एक रिवाज (नियम) बनाएं: सोने से पहले कोई मन को शांत करने वाली क्रिया जैसे कि कोई किताब पढ़ना, गुनगुने पानी से स्नान (नहाना) या हल्की-फुल्की स्ट्रेचिंग करें। कैन्डल लाइट, मोहक खुशबू आदि के बारे में सोचें और गहरी सांसें लें। ये नींद के संकेत आपके शरीर को बताएंगे कि अब सोने का और सपनों की दुनिया में जाने का समय हो गया है।

एक आरामदायक नींद का वातावरण तैयार करें

  • अपने बेडरूम या सोने की जगह को ठंडा, शांत और कम रोशनी वाला रखें।
  • यदि आप कर सके तो आरामदायक बिस्तर और तकियों पर थोड़ा खर्च करें
  • नींद लेने के समय बाहरी रोशनी अंदर आने से रोकें।
  • यदि जरूरी हो तो, बाहरी शोर को कम करने के लिए कानों में रुई या एयरप्लग का इस्तेमाल करें।

धूप का आनंद लें: दिन के समय थोड़ी देर धूप में रहने की कोशिश करें, खासतौर पर सुबह। यह आपके शरीर की आंतरिक घड़ी को नियमित करने में और सोने-जागने के समय को नियमित करने में मदद करता है।

स्क्रीन टाइम सीमित करें: सोने के कम से कम एक घंटे पहले इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों जैसे फोन, टैबलेट, और कंप्यूटर आदि का उपयोग बंद कर दें। इनमें से निकालने वाली ब्लू लाइट आपके शरीर में मेलेटोनिन (एक हॉर्मोन, जो सोने में मदद करता है) के उत्पादन को प्रभावित कर सकती है।

आहार पर ध्यान दें: सोने के समय के आस पास भारी, मसालेदार या ज्यादा न खाने की कोशिश करें। साथ ही, कैफीन और ऐल्कहॉल का उपयोग सोने के कुछ घंटों पहले कम कर दें। यदि आप नोटिस करें कि कोई विशेष प्रकार का खाना या पीना आपकी नींद पर बुरा प्रभाव डाल रहा है तो ध्यान रखें कि शाम के समय उन चीजों का सेवन न करें।

ऐक्टिव बने रहें: नियमित तौर पर शारीरिक व्यायाम करें, परंतु ध्यान रखें कि अपना व्यायाम सोने के कुछ घंटों पहले खत्म कर दें। व्यायाम आपको जल्दी सो जाने में और गहरी नींद का आनंद लेने में मदद कर सकता है।

सभी की नींद की जरूरतें अलग अलग होती हैं, इसलिए यह जरूरी है कि आप ऐसे तरीके ढूंढें, जो आपके लिए व्यक्तिगत रूप से उपयुक्त हों। अच्छे स्लीप हायजीन को लगातार बनाए रखने से आपकी नींद कि गुणवत्ता पर और सम्पूर्ण स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव होता है।