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गेटकीपिंग 101

गेटकीपिंग को नज़र रखने की प्रक्रिया के तौर पर समझा जा सकता है, ताकि आत्महत्या या इससे जुड़ी किसी भी तरह की बुरी घटना को होने से बचाया जा सके। यह लगातार की जाने वाली प्रक्रिया है, जिसके तहत आप अपने क़रीबियों का ध्यान रखते हैं। इससे किसी के तनाव में होने का पता लगाया जा सकता है और उन तक ज़रूरी मदद पहुंचाई जा सकती है।

गेटकीपिंग की प्रक्रिया में कोई भी शामिल हो सकता है, जैसे: एक शिक्षक, सहपाठी या सहकर्मी, कोई मैनेजर, नियोक्ता, घर पर काम करने वाले सहायक, सुरक्षा गार्ड वग़ैरह।

मैं गेटकीपिंग कैसे करूं?

आपको अपने साथियों का ध्यान रखने की जरूरत है, ऐसे संकेतों पर नज़र रखें जो आत्महत्या की ओर इशारा करें। अगर आप किसी व्यक्ति में इन संकेतों को देखते हैं, तो जल्द से जल्द हस्तक्षेप करें और उनसे बात करने की कोशिश करें।

  • मानसिक तनाव के लक्षण दिखना
  • आस-पास के लोगों पर, ख़ुद को बोझ मानना
  • मरने की तीव्र इच्छा जताना
  • नशीले चीज़ों का सेवन बढ़ना
  • अक्सर मरने की बातें करना
  • आत्महत्या के तरीकों को ढूंढना
  • लोगों या अपनों से दूरी बनाना
  • वसीयत बनाना या बीमा कराना

हालात को बिगड़ने से कैसे रोकें?

आत्महत्या का विचार कर रहे किसी व्यक्ति का पता चलने पर, कोई बाहरी व्यक्ति उसे ऐसे विचारों को कम करने में थोड़ी मदद कर सकता है। ऐसे व्यक्ति को ‘गेटकीपर’ कहते हैं। एक गेटकीपर इस तरह से हस्तक्षेप कर सकता है:

ऐसे सुरक्षित माहौल की पेशकर करना जहां वे अपने मन की बात खुलकर कह सकें।

बातचीत को आसान बनाने के लिए आप उनसे यह पूछ सकते हैं कि क्या उन्हें कभी और अधिक न जीने की इच्छा महसूस हुई? एक आम ग़लत धारणा यह है कि इस तरह का सवाल पूछना, आत्महत्या को समाधान के तौर पर पेश कर सकता है, जबकि असल में, यह किसी व्यक्ति के आत्महत्या के बारे में विचार जानने का आसान तरीक़ा होता है।

आत्महत्या के विचारों का अनुभव करने से, व्यक्ति में शर्म की भावना पैदा हो सकती है। खुले दिमाग के साथ बात करने पर, उन्हें शर्मिंदा या दोषी महसूस कराए बिना, अपनी भावनाएं ज़ाहिर करने में आसानी होगी।.

क्या करें

  • उन्हें आराम से, ज़्यादा से ज़्यादा सुनें:

    “तुम जो कुछ कहने में सहज महसूस करो, मुझसे कह सकते हो, मैं तुम्हारे साथ हूँ ।”

  • उनसे सहानुभूति रखें:

    “मुझे पता है कि फ़िलहाल तुम टूटा हुआ महसूस कर रहे हो ।”

  • उनकी भावनाओं को समझें और स्वीकार करें:

    “पिछले काफ़ी समय से आप काफ़ी तनाव से जूझ रहे हैं।”

क्या न करें

  • उन्हें लेकर कोई राय क़ायम न करें, उन्हें शर्मिंदा न करें, दोषी न ठहराएं, न ही उन्हें अलग-थलग करें।
  • सलाह मांगने पर ही दें।
  • दकियानूसी बातें कहने से बचें”

    “आत्महत्या तो सिर्फ़ कायर करते है।.”
    “अपने परिवार के बारे में सोचो, उन्हें कैसा लगेगा?”
    “तुम इस तकलीफ़ से कई ज़्यादा मज़बूत हो,ख़ुद को इतना दर्द देना बंद करो।”

  • इस तरह की बातें उनके मानसिक तनाव को बढ़ा सकती हैं, जिससे वे अकेला रहना पसंद करेंगे।

उन चीज़ों को हटाकर जिनसे वे अपने आप को नुक़सान पहुंचा सकते हैं।

  • तेज़ धार वाली वस्तुएं
  • दवाइयां
  • कीटनाशक या घरेलू सामान, जिसमें ज़हर हो

पक्का करें कि इन लक्षणों वाला व्यक्ति तब तक अकेला न छोड़ा जाए, जब तक कि इस तरह के ख़्याल आना बंद या कम न हों:

  • उनके साथ रहने की पूरी कोशिश करें
  • उनके दोस्तों या परिवार से संपर्क करें, ताकि इन्हें कुछ वक़्त तक अकेला न छोड़ा जाए

किसी व्यक्ति की देखभाल के दौरान यह एहसास होने पर कि आगे चलकर हालात बिगड़ सकते हैं, हमें उन्हें मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े किसी पेशेवर से सलाह लेने के लिए प्रेरित करना चाहिए। आत्महत्या के ख़्याल आने पर एक व्यक्ति को दोस्त से ज़्यादा एक पेशेवर व्यक्ति की ज़रूरत होती है। ऐसे में हमें अपनी सीमाओं को समझना ज़रूरी है।

 

आप चाहें तो उन्हें ‘मन टॉक्स’ के ज़रिए हमसे संपर्क करने के लिए भी कह सकते हैं, ताकि हमारी पेशेवर टीम के लोग उनसे बात कर सकें। साथ ही, उन्हें कुछ संसाधनों की मदद से, आत्महत्या से जुड़े ख़्यालों से बाहर निकलने में मदद कर सकें।

अगर आप 24 घंटे चालू रहने वाले आपातकालीन फ़ोन नंबर खोज रहे हैं, तो इन विकल्पों को आज़माएं: