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भावनात्मक पीड़ा और तनाव

भावनात्मक तनाव वह स्थिति है जहां एक व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य, बेहतर अवस्था में ना हो। इसकी पहचान, व्यक्ति के विचारों, भावों, व्यवहार, रोज़मर्रा के कामकाज, और शारीरिक स्वास्थ्य से की जा सकती है।

संकट के लक्षण

हमारे आस-पास की चीज़ों का असर हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है जिसके नतीजतन मानसिक स्वास्थ्य में गिरावट आना भी स्वाभाविक है। अगर आप दो हफ़्ते से ज़्यादा समय तक किसी भावनात्मक तनाव को महसूस करें, तो हो सकता है कि आप इसे कम करने के लिए मदद लेना पसंद करें। भावनात्मक तनाव के पीछे किसी तरह का दुःख या दर्दनाक घटना का असर भी शामिल हो सकता है।

हम सब कभी ना कभी भावनात्मक तनाव का अनुभव करते हैं और यह काफ़ी स्वाभाविक है। अगर आपको लगता है कि आप भावनात्मक तनाव से गुज़र रहे हैं, तो आप अकेले नहीं हैं। तनाव की स्थिति में ‘मन टॉक्स’ के हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करें और इसे कम करने में सहायता पाएं।

भावनात्मक तनाव का असर आपके रोज़मर्रा के कामों के अलावा आपके रिश्तों और सामाजिक दायित्व पर भी पड़ सकता है।

किसी तरह के इलाज या मदद के बिना, मानसिक तनाव भी शारीरिक तनाव की तरह गंभीर हो सकता है।

अगर आप मानसिक तनाव के लक्षणों को महसूस कर रहे हैं, तो हमसे कॉल या ईमेल के ज़रिए संपर्क करें।

तनाव हमारे शरीर की एक आम प्रतिक्रिया है। हमारा शरीर तनाव तब महसूस करता है, जब उसे मुश्किल दौर या हालात का सामना करना पड़े। तनाव के बढ़ने या लम्बे समय तक रहने की वजह से मानसिक वेदना की स्थिति पैदा होती है। तनाव की स्थिति को कम करने के लिए, हमारे शरीर में अड्रेनलिन और कॉर्टिसोल नाम के हार्मोन का स्राव होता है। इन हार्मोन की मदद से हमें तनाव से लड़ने की हिम्मत मिलती है। तनाव के कम होने पर हमारा शरीर पहले की तरह बर्ताव करने लगता है।

मिसाल के लिए, आप जब लोगों के बीच किसी न किसी तरह का प्रदर्शन करते हैं, तो आप अपने आस-पास को लेकर ज़्यादा सचेत हो जाते हैं। साथ ही, आप अपनी टांगों में थरथराहट और पेट में अलग तरह का तनाव महसूस करते हैं। यह सब स्ट्रेस हार्मोन के चलते होता है, जो आपको उस प्रदर्शन के लिए तैयार करते हैं। इसके बाद आपका शरीर वापस पुरानी अवस्था में आ जाता है।

हमारी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में हम कई वजहों से तनाव महसूस कर सकते हैं, जैसे पैसों की चिंता, ट्रैफ़िक, परीक्षाएं, ऑफ़िस/कॉलेज की डेडलाइन वगैरह।

पैसों की चिंता आसानी से दूर नहीं होती और यह लगतार चिंता का बड़ा कारण बना रहता है। लंबे समय से चल रहे तनाव के मद्देनज़र, शरीर का, तनाव से लड़ने का तरीक़ा कमज़ोर पड़ जाता है, जिससे कई सारी समस्याएं खड़ी हो सकती हैं:

क्रोनिक स्ट्रेस यानी लंबे वक़्त से मानसिक तनाव में रहने का असर

इससे सोचने-समझने की ताक़त पर असर पड़ता है, जिनमें ये सब शामिल हैं

  • याददाश्त
  • तर्क-वितर्क
  • फ़ोकस (ध्यान)

ख़ून में कॉर्टिसोल हार्मोन के ज़्यादा बढ़ने से आर्टिरीज़ (धमनियों) को नुक़सान होता है|

  • हृदय रोग
  • आघात
  • ख़ून में शुगर का स्तर बढ़ना

ऐसे कोपिंग मेकेनिज़म (तनाव कम करने का उपाय) अपनाने लगना जो कि आपकी सेहत के लिए ख़राब हैं

  • शराब
  • निकोटिन
  • आनंद के लिए इस्तेमाल होने वाले ड्रग्स (रीक्रिएशनल ड्रग)

हालांकि, चिंता हमारी ज़िंदगी का अंग है, लेकिन लंबे समय से चिंतित बने रहना या तनाव में रहना, आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए ख़तरनाक हो सकता है और उससे ये हालात बन सकते हैं:

  • ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई
  • शराब, निकोटीन और नशीली दवाओं के उपयोग में बढ़ावा
  • नींद आने में साथ कठिनाई
  • बेबुनियाद डर
  • अत्यधिक थकावट
  • बिना कारण चिंता करना
  • आराम करने में असमर्थता
  • पानिक अटैक

यदि आप दो सप्ताह से अधिक समय से उपरोक्त लक्षणों में से कुछ का अनुभव कर रहे हैं, तो ‘मन टॉक्स’ को कॉल या ईमेल द्वारा संपर्क करे और हमारे प्रशिक्षित मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े पेशेवर या प्रोफ़ेशनल से जुड़े जो आपको सुनेंगे, समझेंगे और इससे सामना करने में आपकी सहायता करेंगे।

भावनात्मक तनाव के लक्षण

अगर आप अपने शरीर से जुड़े इन बदलावों पर नज़र बनाए रखते हैं, तो आप मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले इसके असर को लेकर सचेत हो सकते हैं:

  • ज़रूरत से ज़्यादा भोजन करना
  • ज़रूरत से कम भोजन करना (कम भूख)
  • एक दिन में कई मर्तबा खाना-खाना छोड़ देना
  • ज़रूरत से ज़्यादा सोना
  • ज़रूरत से कम सोना
  • नींद आने में मुश्किल मसहूस करना
  • बिस्तर से बाहर निकलने में आलस आना
  • शरीर में ऊर्जा का स्तर कम लगना
  • हर वक़्त थकान महसूस होना
  • अक्सर बीमार पड़ना
  • बेवजह का दर्द महसूस होना