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अवसाद कितने तरह का होता है

अवसाद के अलग-अलग प्रकार होते हैं, अवसाद के यह प्रकार उनके कारणों पर निर्भर करते हैं:

क्लिनिकल डिप्रेशन या मेज़र डिप्रेसिव डिसऑर्डर

क्लिनिकल डिप्रेशन या मेज़र डिप्रेसिव डिसऑर्डर के मामलों में व्यक्ति के रोज़मर्रा के कामकाज के अलावा उसके स्वभाव, ख़्याल, और मूड पर भी असर पड़ता है। कुछ गंभीर मामलों में व्यक्ति को आत्महत्या के ख़्याल भी आ सकते हैं। यह जीवन के किसी भी चरण में हो सकता है: बचपन, किशोरावस्था, वयस्कता और बुढ़ापा।

पर्सिस्टेंट डिप्रेसिव डिसऑर्डर या डिस्थीमिया

पर्सिस्टेंट डिप्रेसिव डिसऑर्डर या डिस्थीमिया, लंबे समय तक रहने वाला अवसाद है. इसमें कम से कम दो सालों तक उदासी वाला अवस्था रहता है और इसके साथ-साथ अवसाद के कम से कम दो अन्य लक्षण मौजूद होते हैं।

बच्‍चे के जन्‍म के बाद होने वाला अवसाद

बच्‍चे के जन्‍म के बाद होने वाला अवसाद जिसे प्रसवोत्तर अवसाद (पीपीडी) भी कहते हैं । इससे वे महिलाएं पीड़ित होती हैं जिन्होंने हाल ही में बच्चे को जन्म दिया हो। थकान, नींद न आना, ख़ुद को किसी काम का न समझना, और बच्चे के साथ संबंध मज़बूत करने में कठिनाई महसूस करना इसके लक्षण हैं।

मासिक धर्म से पहले होने वाला अवसाद

मासिक धर्म से पहले बेचैनी की समस्या (पीएमडीडी), मासिक धर्म से पहले के सिंड्रोम (पीएमएस) का एक गंभीर रूप है। इससे आपके शरीर, व्यवहार, और मिज़ाज़ में बहुत ज़्यादा बदलाव होते हैं जिससे आपकी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी पर असर पड़ता है।

सीज़नल इफ़ेक्टिव डिसॉर्डर

सीज़नल इफ़ेक्टिव डिसॉर्डर (एसएडी) हर साल एक ही समय पर होने वाले अवसाद का रूप है। यह उन देशों में आम बात है जहां साल में कुछ समय के दौरान या तो बिल्कुल धूप नहीं होती है या काफ़ी कम होती है।