fbpx
(9 AM - 8 PM)
8686 139 139
Free and confidential mental health support 8686 139 139
counselling@manntalks.org

डिप्रेशन (अवसाद) के लक्षण

मुश्किल हालात और ग़म में हम सभी दुःख और मानसिक वेदना को महसूस करते हैं। किसी तरह की मदद या किसी अपने का साथ मिलने के बाद, दुःख की यह भावना धीरे-धीरे कम हो जाती है।

ज़्यादा समय तक तनाव रहने के बाद, कभी-कभी यह भावनाएं हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में अपना असर दिखाना शुरू कर देती हैं। हालांकि, यह भावनाएं कुछ वक़्त के बाद महसूस नहीं होती, लेकिन वे आपकी ज़िंदगी में आती-जाती रहती हैं और मानसिक हलचल पैदा करती हैं।

ऐसे में अगर यह भावनाएं दो हफ़्तों से ज़्यादा वक़्त तक रहती हैं, तो इस बात की गुंजाइश है कि आप मानसिक अवसाद से गुज़र रहे हों।

अवसाद का असर आपके मूड/स्वभाव पर पड़ता है। इससे आपके विचार, भावनाएं, जज़्बात, रोज़मर्रा की चीज़ें प्रभावित होती हैं। कुछ गंभीर मामलों में अवसाद के चलते हमें आत्महत्या तक का ख़्याल आ सकता है।

लक्षण किस तरह के होते हैं

मनोदशा

  • चिड़चिड़ाहट
  • मिज़ाज बदलते जाना
  • बेचैनी
  • जल्द ग़ुस्सा आना
  • रोने पर क़ाबू न होना

भूख

  • भोजन ठीक से न कर पाना (कम भूख)
  • ज़रूरत से ज़्यादा भोजन करना

शारीरिक स्वास्थ्य

  • जोड़ों का दर्द
  • सेक्स की इच्छा में कमी
  • ज़रूरत से ज़्यादा दर्द
  • पेट ख़राब होना

नींद

  • नींद आने में कठिनाई
  • बुरे सपने आना
  • ज़रूरत से ज़्यादा सोना

ऊर्जा का स्तर और रुचि

  • थकान
  • मनपसंद और मज़ेदार गतिविधियों में अब मन न लगना
  • लोगों से कम मिलना और किसी इवेंट से परहेज़ करना

काम से जुड़ी उत्पादकता

  • कॉलेज या काम पर न जाना
  • प्रेरित महसूस न करना
  • काम टालते जाना
  • ध्यान में कमी
  • फ़ैसले लेने में मुश्किल

विचार और भानवाएँ

  • अपराधबोध
  • बेबसी महसूस करना
  • ना उम्मीदी और मायूसी
  • आत्मविश्वास की कमी
  • आत्म सम्मान में गिरावट
  • ख़ुद को नाक़ाबिल महसूस करना

ध्यान देने वाली बात यह है कि अवसाद बेशक़ तनाव पैदा करता हो, लेकिन हर कोई शख़्स, जो अवसाद से गुज़र रहा हो आपको तनाव में नज़र आए, ऐसा ज़रूरी नहीं। अवसाद से पीड़ित व्यक्ति, बाहरी तौर पर आपको काफ़ी ख़ुश और संतुष्ट भी नज़र आ सकता है। हालांकि, भीतर से वह मानसिक तौर पर एक उथल-पुथल महसूस करता है।

मानसिक तनाव में एक व्यक्ति किस तरह का बर्ताव करता है, इसको लेकर हमें पहले से कोई अंदाज़ा नहीं लगाना चाहिए। हमें इस बात का भी ख़्याल रखना चाहिए कि इसे लेकर पूर्वाग्रहों से बचें। ज़रूरी नहीं कि अवसाद को लेकर हमारा हर अनुभव एक तरह का नज़र आए। यह हालात और हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग हो सकता है।

अवसाद के कारण

मुश्किल हालात

अवसाद, विपरीत परिस्थियों में होने वाली एक प्रतिक्रिया कही जा सकती है, जिसे रोकना कई दफ़ा कठिन हो जाता है। इसके पीछे बहुत से कारण होते हैं, जैसे किसी तरह का दुःख महसूस करना, किसी अपने की मृत्यु, रिश्तों का टूटना, नौकरी छूटना, स्कूल/कॉलेज या ऑफ़िस के मुश्किल हालात, पारिवारिक या रिश्तों का तनाव, आर्थिक स्थिति वग़ैरह।

मानसिक विकार

अवसाद, दूसरे तरह के मानसिक विकारों के साथ भी जारी रह सकता है, जैसे पर्सनैलिटी डिसऑर्डर (व्यक्तित्व विकार), सिज़ोफ़्रेनिया या ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसॉर्डर।

ऐसी स्थिति में, जब तक मुख्य विकार का इलाज नहीं होता, तब तक अवसाद मौजूद रहता है।

शारीरिक स्वास्थ्य और बीमारी

विटामिन और मिनरल (खनिज पदार्थ) की कमी भी अवसाद पैदा करती है। साथ ही, अगर कोई व्यक्ति लंबे समय से किसी तरह के शारीरिक रोग से गुज़र रहा हो, तो यह भी अवसाद की बड़ी वजह हो सकती है।

जेनेटिक कारण

अवसाद, एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में नहीं जा सकता, हालांकि किसी तरह के मानसिक विकार से जुड़ा पारिवारिक इतिहास होने की वजह से, व्यक्ति को लगातार इस बात का शक सताता रहता है कि कहीं वह भी अवसाद से प्रभावित न हो जाए।