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मानसिक तौर पर तंदुरुस्त होना

मानसिक स्वास्थ्य लगातार बदलने वाली स्थिति है। यह एक स्पेक्ट्रम पर आधारित है, इसकी मदद से हमें पता चलता है कि मानसिक स्वास्थ्य गतिशील है और हमारे आस-पास होने वाली घटनाओं का इस पर असर पड़ता है। जब हम इस स्पेक्ट्रम के सबसे बाईं ओर होते हैं, तो ऐसी स्थिति को सबसे बेहतर कहा जा सकता है यानी मानसिक स्वास्थ्य के पैमाने पर सबसे आदर्श स्थिति। मानसिक तौर पर तंदुरुस्त होने के कुछ संकेत:

स्वस्थ विचार और सकारात्मक भावनाएं

हमारे विचारों और सकारात्मक भावनाओं का हमारे फ़ैसलों पर असर पड़ता है। जब हमारे विचार स्वस्थ होते हैं, तो हम अलग-अलग हालातों पर बेहतर ढंग और संयमित होकर प्रतिक्रिया दे पातें हैं।

ग़ुस्सा आना और उस भावना से उभारना
उदाहरण के लिए, आप दोस्त से नाराज़ होने पर अपना ग़ुस्सा भी ज़ाहिर कर पाएं। साथ ही, आसानी से कुछ वक़्त के बाद उस भावना से उभर सकें।

लगातार स्वस्थ विचारों का संचार
हम हालात को समझ पाएं और बिना सोचे-समझे अपने रिश्ते या दोस्ती को ख़त्म करने का फ़ैसला न लें, जैसा कि पिछले उदाहरण में समझाया गया।

रोज़मर्रा के काम आसानी से कर पाना

हम बिना किसी परेशानी के अपना दिन आसानी से शुरू कर पाते हैं, जिसमें रोज़मर्रा के काम, घर के काम, शारीरिक स्वास्थ्य की देखभाल और ख़ुद की साफ़-सफ़ाई रख पाना शामिल है।

लगातार और बढ़िया तरीक़े से काम करना

इस स्थिति में हम काफ़ी सक्रिय होकर अपने काम को अंजाम देते हैं जिसमें कॉलेज, स्कूल, और ऑफ़िस में किसी तरह की नई पहल करना भी शामिल है। साथ ही, हम डेडलाइन पर अपने काम पूरे कर पाते हैं।

लोगों से मिलना जारी रखना

परिवार, दोस्तों, साथ काम करने वालों, और जीवनसाथी के साथ हम रिश्ते को सम्मान और विश्वास के साथ बेहतर तरीक़े से निभा पाते हैं। इसके अलावा, अपने अधिकारियों की प्रतिक्रियाओं का ठीक ढंग से जवाब दे पाते हैं।

ज़िन्दगी के तनाव से ख़ुद का बचाव

तनाव, जीवन का एक हिस्सा है—ऐसे में चुनौतीपूर्ण समय हमेशा हमारे आस-पास मौजूद होता है। मानसिक तौर पर मज़बूत होने पर ही हम तनाव का मुक़ाबला करने में सक्षम हो पाते हैं। जिसके बाद तनाव का हमारे जीवन पर फिर गहरा असर नहीं पड़ता।

समाज में योगदान

हम इनमें से किसी न किसी तरह, समाज में अपना योगदान दे पाते हैं- हमारे आस-पास के लोगों की मदद करके, पर्यावरण को बचाकर, और सामाजिक-राजनीतिक गतिविधियों में भागादारी करके।

हमारे मानसिक स्वास्थ्य का हमारी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी पर सीधा असर पड़ता है। इसलिए, जिस तरह आप अपने शारीरिक स्वास्थ्य (शरीर का) ध्यान रखते हैं, ठीक उसी तरह आपको मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी ज़रूरी है।