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कुछ खोने के दुख से निपटना

  • दुख और पीड़ा क्या है?

    कुछ ख़ास खो जाने का नतीजा दुख है। आम तौर पर यह किसी अपने के खोने पर महसूस होता है। हालांकि, यह यही तक सीमित नहीं है। दुख में बहुत सी चीज़ें शामिल होती हैं- जैसे हमारे विचार, व्यवहार, भावनाएं, और शारीरिक बदलाव। इनसे हमें दुख से उभरने और तनाव से लड़ने में मदद मिलती है।

    क्या इसे महसूस करना आम बात है?

    दुख महसूस करना काफ़ी सामान्य बात है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसे अपनाकर हमारा शरीर, किसी अपने के खोने के दर्द को सह पाता है। साथ ही, इस प्रक्रिया के चलते हमारा शरीर वापस बेहतर स्थिति में पहुंच पाता है। आप खोने के दुख को फ़िक्स या ठीक नहीं कर सकते।

    इससे उभरने में कितना वक़्त लग सकता है?

    किसी अपने के गुज़रने के दुख से आसानी से “मूव ऑन” करना या आगे बढ़ना इतना आसान नहीं होता। दुख से उभरने की प्रक्रिया और इसमें लगने वाला समय, सबके लिए एक सा नहीं हो सकता। नाही यह किसी ख़ास शेड्यूल या तय समयसीमा में ख़त्म होने जैसा होता है।

    क्या दुख को अपनाने का कोई सही तरीक़ा है?

    दुख से जुड़ा अनुभव सभी के लिए अलग तरह का होता है। कुछ लोग अपने आंसू छुपा पाते हैं और कुछ लोग ऐसा नहीं कर पाते। ऐसे में दुख और शोक जताने का कोई बना-बनाया सही तरीका नहीं होता।

    मैं ऐसे व्यक्ति के लिए क्या करूं, जिन्होंने किसी को खोया हो / खोने वाले हों?

    उनकी बातें सुनें। उन्हें ऐसा माहौल दें जहाँ वे अपने मन की बात, बिना किसी डर या संकोच के कह सकें (अगर वो कुछ बताना चाहें)। उन्हें यह न बताएं कि उन्हें कैसा महसूस करना चाहिए या क्या सोचना चाहिए।

    दूसरों के नुक़सान और पीड़ा को देखकर, क्या मेरा अपने लिए और परिवार के लिए डरना ठीक है?

    हाल के माहौल को देखकर अपनों को खोने के डर से चिंतित होना आम बात है। यहां तक ​​कि खोने के ख़्याल भर में भी काफ़ी दुख शामिल हो सकता है।

    दुख से निपटना

    • इस बदलाव को अपनाने के लिए कुछ वक़्त का ब्रेक लें।
    • इस बात को समझें और स्वीकार करें कि आपने किसी क़रीबी को खो दिया है। इस दुख से उभरने और उस पर शोक जताने के लिए, ख़ुद को समय दें।
    • अपने लिए कुछ वक़्त निकालें और अपनी भावनाओं पर बात करें। एक्टिविटी के तौर पर बॉडी स्कैन को अपनाएं, जहां आपको अपने भीतर झाकने का मौक़ा मिलता है।
    • अपने जज़्बात को महसूस करके देखें। भले ही यह मुश्किल जान पड़े।
    • भावनाओं को दबाने से अच्छा उन्हें ज़ाहिर करना है। आप चाहें, तो किसी से बात करें या इन ख़्यालों को कहीं लिखते रहें।
    • आप क्या सोच रहे हैं इसका हिसाब और ख़्याल रखें। देखें कि यह विचार आपकी कोई मदद कर रहे हैं या नहीं।
    • ऐसी गतिविधियों में शामिल हों, जिनसे आपको अपने बारे में अच्छा महसूस हो।

    अधूरा शोक और अधूरा मातम:

    महामारी के चलते, हम में से कई लोग यह मौक़ा भी खो रहे हैं कि अपने प्रियजनों का शोक मना सकें।

    लॉकडाउन और दूसरी पाबंदियों ने हमारे सामाजिक दायरे को सीमित कर दिया है, जिसमें किसी तरह के दुख में अपनों का साथ देना भी शामिल है। ऐसी स्थितियों के चलते कई मर्तबा आप अपने क़रीबियों को सही से आख़िरी अलविदा भी नहीं कह पाते, रस्मों में नहीं जा पाते, दोस्तों और अपनों के पास नहीं जा सकते। इसी स्थिति को अधूरा शोक और अधूरा मातम कह सकते हैं, जहां आपको किसी अपने के दुख को जताने का माध्यम नहीं मिलता। कोई दूसरा व्यक्ति, हिम्मत बढ़ाने या साथ देने के लिए आपके क़रीब नहीं हो पाता।

    दुख की घड़ी में इस तरह की स्थिति, हमें भावनात्मक रूप से थका हुआ महसूस करा सकती है। क्योंकि, आप किसी से भी खुलकर, बेहतर तरीक़े से अपना दुख साझा नहीं कर पाते। नतीजतन, इसका असर हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी पर पड़ सकता है। ऐसे में यह ज़रूरी हो जाता है कि इससे निपटने के लिए, इस पर बात करके कोई हल निकाला जाए।

    हमें इस बात का एहसास है कि स्थिति मुश्किल है, हालांकि इसमें आप अकेले नहीं हैं।  

    आपके अपने लिए, दुख को अपनाने की प्रक्रिया:

    • अपनी यादें साझा करना: दुख से जूझ रहे, शोक संतप्त लोगों को अपने प्रियजनों की विशेषताओं, उनके बिछड़ने, और उनकी मृत्यु से जुड़ी परिस्थितियों के बारे में बात करने से लाभ होता है।
    • क्षति और बदलाव पर बातचीत: आप चाहें, तो इस बारे में बात कर सकते हैं कि इस क्षति के बाद आपको किस चीज़ की कमी खलेगी और मृतक के बिना, जीवन कितना अलग होगा।
    • ख़त लिखना/ जज़्बात बयां करना: ख़त लिखने से या अपने जज़्बात को किसी जगह पर लिखने से, हमें उन चीज़ों को कह पाने का मौक़ा मिलता है, जो शायद पहले हम उन्हें (मृतक) बता नहीं पाए। यह अधूरी रह गई बातों को अंजाम तक पहुंचाने का ज़रिया भी बन सकता है।
    • स्मृतियों को सहेजना: व्यक्ति के बिछड़ने पर, उससे जुड़ा सब कुछ खो नहीं जाता। आप चाहें, तो एक मेमोरी बॉक्स या फ़ोल्डर बनाएं, जिसमें उस व्यक्ति से जुड़ी कुछ चीज़ें हों, जो उनकी यादें ताज़ा कर सके। इसमें, स्मृति चिह्न, तस्वीरें, उनकी कही गई बातें या ऐसा कुछ जिसे आप शामिल करना चाहें। आप उन गतिविधियों को मनाना भी जारी रख सकते हैं, जो आपके प्रियजनों को पसंद थीं।
    • मदद मांगना: शोक की इस स्थिति में उन लोगों से जुड़ना भी फ़ायदेमंद होगा, जिन्हें आप सुरक्षित, सुलभ, और आसानी से संपर्क करने लायक़ समझते हैं। आप चाहें, तो उन्हें बताया जा सकता है कि इस वक़्त आपको किस मदद की ज़रूरत है।

    दुख से गुज़र रहे क़रीबियों की मदद करने का तरीक़ा

    कई मर्तबा हम दुख और शोक की घड़ी से गुज़र रहे लोगों के साथ, कुछ वजहों के चलते कंधा मिलाकर खड़े नहीं हो पाते। उस घड़ी में उनके साथ न हो पाना हमें असहाय महसूस कराता है। ऐसा होना सामान्य है और यह बहुत सी परिस्थियों में मुमकिन है। हालांकि, ऐसे तरीक़े भी हैं जिनसे आप उनकी मदद सकें।

    • उन्हें अपना दुख और भावनाएं बताने का मौक़ा और वक़्त दें,
    • उनके संपर्क में बने रहें,
    • उनसे पूछें कि उन्हें किस चीज़ की ज़रूरत है और उनका ख़्याल कैसे रखें,  
    • उनकी बुनियादी ज़रूरतें पूरी करने का तरीक़ा ढूंढे। उनके लिए, आपतक पहुंचने का रास्ता बनाएं।